Welcome message of Vice Chancellor

Prof. Najma Akhtar,
Vice Chancellor
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्थापना अलीगढ़ में 1920 में उसके संस्थापक सदस्यों - शैखुल हिंद मौलाना महमूद हसन, मौलाना मुहम्मद अली जौहर, जनाब हकीम अजमल ख़ान, डॉ मुख्तार अहमद अंसारी, जनाब अब्दुल मजीद ख़्वाज़ा और डॉ. ज़ाकिर हुसैन के दृढ़ संकल्प और अथक प्रयासों द्वारा की गई जिसका उद्देश्य था कि इस संस्थान के माध्यम से स्वदेशी संस्कार और बहुलतावादी भावना को दर्शाया जा सके। इस की स्थापना एक राष्ट्रीय संस्थान के रूप की गई जो सभी समुदायों के छात्रों और विशेष रूप से मुस्लिम समुदायों के छात्रों को प्रगतिशील शिक्षा प्रदान कर सके और उनमें और राष्ट्रवाद की भावना का विकास कर सके। जामिया की स्थापना को गांधीजी और रबिंद्रनाथ टैगोर ने इस आधार पर समर्थन किया कि जामिया एक साझा संस्कृति और वैश्विक नजरिए द्वारा सैकड़ोंझारों छात्रों का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। जामिया के विकास में इसके कर्मचारियों और छात्रों ने बलिदान दिया है और साथ ही इसके विकास में कई व्यक्तियों का महत्त्वपूर्ण योगदान शामिल है।
डॉ. ज़ाकिर हुसैन साहब ने एक बार कहा था, जिसे मैं उद्धृत करना चाहता हूँ कि, ‘‘जामिया मिल्लिया इस्लामिया का आंदोलन शिक्षा और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक संघर्ष है। यह भारतीय मुसलमानों के लिए एक ऐसे वातावरण का निर्माण करेगा जिसमें वे इस्लाम पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं लेकिन साथ ही वह एक ऐसे वातावरण का भी निर्माण करेगा जिसमें आम भारतीय राष्ट्रीय संस्कृति विकसित कर सकते हैं। इसके द्वारा एक ऐसी विचारधारा की नींव रखी जाएगी जिसमें सच्ची धार्मिक शिक्षा का तात्पर्य भारतीय मुसलमानों में देशभक्ति और राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा मिले और जिसके आधार पर उन्हें भारत की भविष्य की प्रगति में भाग लेने पर गर्व होगा तथा जो शांति और विकास के लिए राष्ट्रों के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएंगे। जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्थापना का उद्देश्य भारतीय मुस्लिमों के लिए भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सामान्य पाठ्यक्रम तैयार करना था ताकि बच्चे भविष्य के कर्णधार बन सकें|”
यह संस्थान आज एक मशाल बन चुका है जो विचारों को आकार देता है और नवाचार को बढ़ावा देता है। अपने संस्थापकों के वादे ‘‘ऐसे मानव ब्रह्मांड का सृजन जो समग्रता, समानता, शिक्षा, न्याय और शांति प्रदान करता हो” को साकार करने की राह पर चलना ही हमारा ध्येय है। हम गुणवत्ता शिक्षा और अनुसंधान के द्वारा सक्षम, कुशल और संवेदनशील मानव संसाधन का सृजन करते हुए देश की सेवा कर रहे हैं जिससे मानवीय वातावरण का वास्तविक संवर्धन और विकास होगा। सर्वोत्तम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं को आत्मसात करते हुए हम जामिया को विश्व स्तरीय शिक्षण सह शोध विश्वविद्यालय बनने के प्रयास कर रहे हैं जिसके अंतर्गत देश-विदेश के विभिन्न संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन भी किए गए हैं। हम समसामयिक विषयों के सीमांत क्षेत्रों से संबंधित अधिगम अनुभव, अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा, बौद्धिक स्वतंत्रता और महत्वपूर्ण अनुसंधान के अवसरों को मुहैया करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया अपने आप में बहुआयामी शैक्षिक प्रणाली का एक समूह बन चुका है जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर स्नातक, स्नातकोत्तर, एम.फिल/पीएच.डी. तथा पोस्ट डाॅक्टरल तक के सभी पहलू शामिल हैं। अधिगम के 9 संकाय, 38 शिक्षण-शोध विभाग और अधिगम एवं शोध के 27 से अधिक केंद्रों के साथ, हम पूरे देश के मेधावी युवाओं को आकर्षित करते हैं। वे अपने सपनों को साकार करने हेतु जामिया के रचनात्मक वातावरण का उपयोग करते हैं।
हाल के वर्षों में जामिया ने नई ऊँचाईयों को हासिल किया है। इसे 2015 में ग्रेड ‘‘ए’‘ के साथ नैक द्वारा प्रत्यायित किया गया। एमएचआरडी के राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) द्वारा 2018 में इसे 19वें स्थान पर रखा गया। हमने विश्व रैंकिंग में भाग लेने के लिए शुरुआती कदम उठाए हैं। वर्ष 2017 के लिए टाइम्स हायर एजुकेशन (टीएचई) रैंकिंग में हमें 801-1000 के बीच और क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2019 में हमें 751-800 के बीच रखा गया। संकाय विनिमय, छात्र विनिमय, संयुक्त अनुसंधान, संयुक्त सम्मेलन और संयुक्त प्रकाशन के माध्यम से विश्वविद्यालय विदेशी शैक्षिक संस्थानों के साथ अपने इंटरफेस को बढ़ाकर अपनी शिक्षण और अनुसंधान प्रक्रियाओं के साथ नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।
विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीयकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने और विश्वविद्यालय में सर्वश्रेष्ठ शिक्षाविद्ों और शोधकर्मियों को आकर्षित करने के लिए भारत सरकार के ज्ञान (जीआईएएन) और वज्र (वीएजेआरए) का बेहतर उपयोग कर रहे हैं। हम परिसर में उद्यमिता विकास और नवाचार को प्रोत्साहित कर रहे हैं। हम कैंपस भर्ती की सुविधा उपलब्ध कराते हुए अपने छात्रों को दुनिया से जोड़ रहे हैं।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया वर्ष 2020 में अपनी स्थापना के सौ साल पूरे करने जा रहा है। हमने एक लंबी यात्रा तय की है। हमें अपनी ताकत के साथ निरंतर विकास की आवश्यकता है। हम जामिया मिल्लिया इस्लामिया को भारत के लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने वाली संस्था के रूप में स्थापित करना चाहते हैं जिसके लिए हमें सभी हितधारकों के सहयोग की आवश्यकता है।