कुलपति का संदेश

कुलपति का स्वागत संदेश

प्रो मज़हर आसिफ

जामिया मिल्लिया इस्लामिया जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिलना मेरे लिए अत्यंत सम्मान, खुशी और सौभाग्य की बात है। यह विश्वविद्यालय पारंपरिक मूल्यों और समकालीन अपेक्षाओं-आकांक्षाओं के सामंजस्यपूर्ण छवि को दर्शाता है जो राष्ट्रवाद में निहित है। इस विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास और विरासत ज्ञान अर्जन करने वालों के लिए प्रेरणा का स्रोत है तथा वर्तमान सहित भावी पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक मशाल के रूप में कार्य करेगा ।

मेरा पूर्ण विश्वास है कि शिक्षा व्यक्तियों को उनके छुपे हुए गुणों और प्रतिभाओं को नया आयाम देकर सशक्त बनाती है । शिक्षा व्यक्ति को वह कौशल प्रदान करती है जो सभी प्रकार की चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक है। शिक्षा एक परिवर्तनीय शक्ति के रूप में कार्य करती है जो बाधाओं को पार कराकर हमें स्वतंत्रता की ओर ले जाती है और हमारी आकांक्षाओं की पूर्ति में सहायता करती है। मैं मार्टिन लूथर किंग जूनियर के शिक्षा संबंधी विचारों से सहमत हूँ जिनका यह कहना है कि "शिक्षा का उद्देश्य गहन सोचने और आलोचनात्मक सोचने की क्षमता को सिखाना है। बुद्धिमत्ता और चरित्र - यही सच्ची शिक्षा का लक्ष्य है।"

वास्तव में, उच्च शिक्षा का वैश्विक परिदृश्य पूर्व दृष्टिकोण और दायरे में उल्लेखनीय बदलावों का अनुभव कर रहा है। इसी प्रकार भारत में उच्च शिक्षा ने भी अंतरराष्ट्रीय मांगों के अनुरूप स्वयं को प्रभावी ढंग से ढाला है, जहाँ संस्थान नवीनतम शैक्षणिक तकनीकों का उपयोग करके वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो रहे हैं। अंतःविषयक अध्ययन, शोध-केन्द्रित और संवादात्मक शिक्षण की दिशा में बदलाव, साथ ही प्रौद्योगिकी का समावेश, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ने न केवल नए अवसरों को सृजित किया है बल्कि विभिन्न चुनौतियों को भी प्रस्तुत किया है। भारत इस समय एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहाँ बड़ी संख्या में युवा उच्च शिक्षा अर्जित कर रहे हैं। इस निरंतर विकसित होती दुनिया में, ज्ञान की गुणवत्ता को बढ़ाने के साथ शैक्षणिक और उद्योग जगत के बीच की खाई को पाटने के लिए एक गतिशील और अनुकूलित मंच बनाने पर होना चाहिए।

मुझे विश्वविद्यालय के समर्पित, प्रतिबद्ध और कुशल शिक्षकों एवं प्रशासनिक कर्मचारियों पर गर्व है। मुझे उन सब पर अटूट विश्वास है और माननीय प्रधानमंत्री की पहलों को आगे बढ़ाने में शिक्षकों एवं प्रशासनिक कर्मचारियों के प्रयासों का प्रोत्साहन करता हूं। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्यों को साकार करने की दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 के कार्यान्वयन में एक आदर्श केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में उभरेगा, जिसमें भारत के पारंपरिक ज्ञान को समकालीनता से जोड़ना शामिल है।

छात्र और शोधकर्ता किसी भी शैक्षणिक संस्थान के अनमोल धरोहर होते हैं। उनकी प्रेरणा और दृष्टिकोण न केवल विश्वविद्यालय के शैक्षणिक वातावरण के लिए बल्कि हमारे राष्ट्र की आकांक्षाओं के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। विविधता और बहुलता का समावेश संस्थान की जीवनरेखा के रूप में कार्य करता है, जो पूर्व छात्रों और वर्तमान छात्रों के बीच एक मजबूत संबंध को बढ़ावा देता है। इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में, मैं वर्तमान और भावी छात्रों को उनके सार्थक शैक्षणिक प्रयासों का मैं समर्थन करता हूँ । मैं इस अवसर पर युवाओं को ज्ञान अर्जन करने, उसे आत्मसात करने और ज्ञान के प्रसार की दिशा में उनसे ऊर्जा और लगन के साथ कार्य करने का आग्रह करता हूँ । शिक्षा की व्यावहारिकता, जो ‘अबेउन्ट स्टुडिया इन मोरेस’ (अध्ययन का उद्देश्य चरित्र/व्यवहार में परिलक्षित होना है) है, छात्रों के ज्ञान की खोज में मार्गदर्शक शक्ति होनी चाहिए।

मुझे विश्वास है कि इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयास से राष्ट्रवाद का सार—एक भारत-श्रेष्ठ भारत— प्रभावी ढंग से गुंजायमान होगा और विकसित भारत के राष्ट्रीय विजन को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा ।

जैसे कि एक कहावत है, ‘विपरीतताओं के बिना कोई प्रगति नहीं होती’, मुझे आपके सुझावों, रचनात्मक अंतर्दृष्टियों और सकारात्मक प्रतिकृयाओं की उत्सुकता से प्रतीक्षा है जो हमें सामूहिक उद्देश्यों तक पहुँचने और इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सक्षम बनाएंगे।

प्रो मज़हर आसिफ जीवन परिचय